दमानाशक योग- फूला हुआ सुहागा तथा मुलहठी का चूर्ण, इन दोनों को बराबर मात्रा में लेकर आधे से एक ग्राम तक दिन में तीन बार शहद से या गरम जल से देने पर दमा (श्वास रोग) और पुरानी खांसी ठीक हो जाती है।
स्वर-भेदनाशक योग- कुलंजन की जड़, अकरकरा की जड़, वचा, ब्राह्मी,मीठा कूठ व सफेद मिर्च, इन सबका कपड़छान चूर्ण बनाकर एक से दो ग्राम तक शहद के साथ दिन में तीन बार चटाने से स्वर-भेद(गला बैठना) अच्छा हो जाता है।
मस्तिष्क विकार नाशक योग- बरगद के दूध को सूखाकर 125 मिलीग्राम की गोलियॉं बनाकर चॉंदी का वर्क चढाकर रख लें। इन गोलियों में से 2-2 गोलियॉं प्रात: सांय काल सेवन कर बादाम या खसखस की ठण्डाई ऊपर से सेवन करें। इससे चक्कर आना, उठते-बैठते आँखों के सामने अंधेरा छा जाना आदि दूर होकर स्मरण शक्ति बढती है।
सिरदर्दनाशक योग- तुलसी के 30 पत्ते, काली मिर्च-12 और एक गॉंठ लहसुन के साथ थोड़ा पानी डालकर पीसकर लुगदी बना ले। इस लुगदी को कपड़े में रखकर शीशी में निचोड़ लें। इस शीशी को दिन में कई बार जोर से सूंघें। पुराने से पुराना सिरदर्द भी ठीक हो जाता है।
बिच्छुदंश- यदि किसी को बिच्छू काट ले, तो काटे हुए स्थान पर अमृतधारा को रुई में भिगोकर लगायें, तो तत्काल लाभ होता है। वृश्चिक-दंश के स्थान पर पोटेशियम परमेंगनेट के एक या दो दाने डालकर नींबू के रस की 2-3 बूँदे टपकाने से उसमें झाग आकर विष शान्त हो जाता है एवं पीड़ा दूर हो जाती है। लेखक- डॉ.धर्मेन्द्र शर्मा, एमडी
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वेद मर्मज्ञ आचार्य डॉ. संजय देव के ओजस्वी प्रवचन सुनकर लाभान्वित हों।
यजुर्वेद मन्त्र 1.1 की व्याख्या
Ved Katha Pravachan - 90 (Explanation of Vedas) वेद कथा - प्रवचन एवं व्याख्यान Ved Gyan Katha Divya Pravachan & Vedas explained (Introduction to the Vedas, Explanation of Vedas & Vaidik Mantras in Hindi) by Acharya Dr. Sanjay Dev
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