आयुर्वेद जैसा अत्यधिक उपयोगी शास्त्र संसार में दूसरा कोई नहीं है। ऐसे अद्भुत, अद्वितीय, अमूल्य और दिव्य शास्त्र का उपयोग करके मनुष्य को अपने स्वास्थ्य की रक्षा तथा सौभाग्य की वृद्धि करनी चाहिए। मनुष्य का यह परम सौभाग्य है कि परमपिता परमात्मा द्वारा प्रदत्त ज्ञान वेदों का उपवेद आयुर्वेद जैसा परम कल्याणकारी, अत्यधिक उपयोगी तथा अथाह ज्ञान का भंडार इसे उपलब्ध है। इस शास्त्र को योगी, तपस्वी और दिव्य ज्ञानी ऋषि-मुनियों ने निस्वार्थ भावना तथा जगत कल्याण की कामना से अपने अनुभव के आधार पर युक्ति और प्रमाणों सहित प्रस्तुत किया था।
यदि मनुष्य आयुर्वेद जैसे उपयोगी और महान शास्त्र के होते हुए भी इससे लाभ न उठाए तथा इसके अनुसार व्यवहार न करे, तो दुखी और रोगी नहीं होगा तो क्या होगा? आयुर्वेद के ज्ञान से वंचित रहना मनुष्य का दुुर्भाग्य है। ज्ञान हो परन्तु उसके अनुसार आचरण न हो, तो यह परम दुर्भाग्य है। आयुर्वेद में इसे प्रज्ञापराध कहा गया है कि जानबूझकर भी गलत आहार-विहार तथा आचरण किया जाए। प्रज्ञापराध ही सब रोगों का मूल कारण है। सोए हुए को तो जगाया जा सकता है। परन्तु जागता हुआ व्यक्ति यदि सोने का नाटक कर रहा हो, तो उसका क्या किया जा सकता है!
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वेद मर्मज्ञ आचार्य डॉ. संजय देव के ओजस्वी प्रवचन सुनकर लाभान्वित हों।
यजुर्वेद मन्त्र 1.1 की व्याख्या
Ved Katha Pravachan - 90 (Explanation of Vedas) वेद कथा - प्रवचन एवं व्याख्यान Ved Gyan Katha Divya Pravachan & Vedas explained (Introduction to the Vedas, Explanation of Vedas & Vaidik Mantras in Hindi) by Acharya Dr. Sanjay Dev
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