बदलने की मनोवृत्ति
आदमी में बदलने की मनोवृत्ति होती है। कोई भी एक रूप रहना नहीं चाहता है। युवक भी सदा युवक नहीं रहता, बूढा होता है। जैसे यौवन का अपना स्वाद है, वैसे ही बुढापे का अपना मजा है, स्वाद है। जिस व्यक्ति ने बुढापे का अनुभव नहीं किया, बुढापे के सुख का अनुभव नहीं किया, वह नहीं जान सकता कि बुढापे में क्या स्वाद है? यौवन में जो हलचल सताती है, जो समस्याएं परितृप्त करती हैं, अपरिपक्वता के कारण जो कठिनाइयाँ आती हैं, वे सब बुढापे का सुख क्या है? आनंद क्या है? सुख न बचपन में है, न यौवन में है और न बुढापे में है। यदि सुख कि चाबी हस्तगत हो जाए तो बचपन में बहुत सुख है, जवानी में भी बहुत सुख है और बुढापे में भी क्या सुख है? जो बुढापे तक नहीं पहुँचा, वह नहीं जान पाएगा कि बुढापे में क्या सुख है? बुढापे तक हम भी पहुँचे हैं, परन्तु उसमें होने वाले सुख को जानते हैं। प्रत्येक व्यक्ति हर अवस्था के अनुभव में जा सकता है, उसमें से गुजर सकता है।
Man has a tendency to change. Nobody wants to remain in the same form. Even a youth does not remain a youth forever, he grows old. Just like youth has its own taste, similarly old age has its own fun, its own taste. A person who has not experienced old age, has not experienced the happiness of old age, cannot know what is the taste of old age? The turmoil that troubles in youth, the problems that satisfy, the difficulties that come due to immaturity, what is the happiness of old age? What is bliss?
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बदलने की मनोवृत्ति आदमी में बदलने की मनोवृत्ति होती है। कोई भी एक रूप रहना नहीं चाहता है। युवक भी सदा युवक नहीं रहता, बूढा होता है। जैसे यौवन का अपना स्वाद है, वैसे ही बुढापे का अपना मजा है, स्वाद है। जिस व्यक्ति ने बुढापे का अनुभव नहीं किया, बुढापे के सुख का अनुभव नहीं किया, वह नहीं जान सकता कि...