एक महाविद्यालय के छात्रों के साथ अनौपचारिक चर्चा के बीच जो प्रश्न उपस्थित हुए वे हमारे सामने चुनौती के रूप में है, जिन पर हर भारतवासी को गम्भीरता से विचार करना आवश्यक है। ये प्रश्न इस प्रकार हैं-
1. पार्क सर्वेक्षण के अनुसार भारत की नौकरशाही सबसे सुस्त है। इसमें बतलाया गया है कि भारत की नौकरशाही एशियाई देशों में कामकाज के लिहाज से सबसे पिछड़ी और सुस्त है। सिंगापुर को सबसे ज्यादा कार्य कुशल माना गया है, जबकि कामकाज के लिहाज से 12 देशों में भारत 12 वें स्थान पर बताया गया है। इस पतन से उबरने का कोई रास्ता है? इस स्थिति से राष्ट्रव्यापी नौकरशाही को कैसे उबारा जा सकता है? 2. एक दैनिक समाचार पत्र के अनुसार- ट्रान्सपेरेंसी इण्टरनेशनल (टी.आई.) की ताजा रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला गया है कि भारत में राजनीतिक दल (58 फीसदी) सबसे भ्रष्ट हैं। जबकि इसके बाद नौकरशाही 13 प्र.श., संसद और विधानसंभाएँ 10 प्र.श., बिजनेश व निजी क्षेत्र 9 प्र.श. और न्यायपालिका 3 प्र.श. का नंबर आता है। इन निष्कर्षों के आधार पर यह सिद्ध होता है कि भ्रष्टाचार राष्ट्रव्यापी बीमारी के रूप में फैलता जा रहा है। राजनीतिक दल सबसे भ्रष्ट बताए गए हैं। राजनीतिक दल ही सत्ता पर काबिज होते हैं। अतः यथा राजा तथा प्रजा के अनुसार भ्रष्टाचार चरित्र का अंग बनता जा रहा है। बढ़ता भ्रष्टाचार आम नागरिक के प्रति न्याय की जड़ को खोखला बना रहा है। आर्थिक अपराधियों का साहस बढ़ रहा है। यहॉं तक कि राष्ट्र की सुरक्षा को भी कमजोर कर रहा है। इस राष्ट्रव्यापी बीमारी का क्या इलाज है? 3. भारत के प्यारे बेटे विद्या अध्ययन के लिए विदेशों में जाते हैं। वहॉं भारतीयों को हीनदृष्टि से देखा जाता है। उनका जीवन खतरे मेंहै। आस्ट्रेलिया में भारतीय विद्यार्थियों के साथ जो दुर्व्यवहार हो रहा है, वह सबके सामने है। वे वहॉं सुरक्षित नहीं हैं। भारत एक कमजोर और प्रभावहीन राष्ट्र के रूप में विश्व के सामने दिखाई पड़ रहा है। हमसे कोई नहीं डरता। हम हमारे प्यारे बेटों की किस प्रकार रक्षा कर पाएंगे? हम अपना प्रभाव और अपनी प्रतिष्ठा किस प्रकार स्थापित कर सकेंगे? अमेरिका के शिक्षण संस्थानों में भी गोलीबारी की घटनाएँ हो चुकी हैं। उनमें भी भय व्याप्त हो गया है। अप्रैल 2007 के बाद से अमेरिका के विश्वविद्यालयों में नौ भारतीय छात्रों की हत्या हुई है। इन समस्त घटनाओं के कारण भारतीय छात्रों के विदेश में पढ़ाई कर पाने के औचित्य पर प्रश्न चिह्न लग गया है। क्या भारतीय छात्रों को संरक्षण प्रदान करने का कोई प्रभावशाली उपाय है? 4. इस सत्य को सभी स्वीकार करते हैं कि पाकिस्तान विश्वव्यापी आतंकवाद का जन्मदाता है। आतंकवाद भारत के लिए भारी खतरा है। दूसरी ओर पाकिस्तान इसे रोक पाने के लिए जरा भी उत्सुक दिखाई नहीं देता। कितने बड़े आश्चर्य की बात है कि बम्बई विस्फोट के षड्यंत्रकारी हाफिज मोहम्मद सईद को पुख्ता प्रमाण के अभाव बतलाकर लाहौर कोर्ट ने रिहा कर दिया, जबकि हमने ठोस प्रमाण भी दिए थे। इससे भी आगे बढ़कर पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री का यह बयान कि भारत जब तक कश्मीर समस्या का समाधान नहीं करता, तब तक पाकिस्तान अलगाववादी आंदोलन की सहायता करता रहेगा। इन आधारों पर सिद्ध होता है कि पाकिस्तान से कोई आशा नहीं की जा सकती।
इन बातों से यह स्पष्ट हो जाता है कि भारत खतरे में है। ऐसी स्थिति को देखते हुए प्रश्न उपस्थित होता है कि भारत की रक्षा के लिए हमारे पास क्या योजना है? समझौते की लचर भाषा के अलावा कोई और विकल्प भी है या नहीं? ऐसे ही और भी अनेक प्रश्न हैं, जिनके उत्तर की अपेक्षा है। प्रा. जगदीश दुर्गेश जोशी, दिव्य युग जुलाई 2009 इन्दौर Divya yug july 2009 Indore
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