मैं ज्वालामुखी धराधर हूँ, मैं सरस सुधामय इन्दू हूँ ।
मैं इस प्रकार का हिन्दू हूँ।
मैं गौतम, कपिल, कणाद, व्यास, मैं ही अगस्त्य विज्ञानी हूँ।
मैं परशुराम प्रलयंकर हूँ, मैं द्रोण धनुर्धर ध्यानी हूँ।।
मैं याज्ञवल्क्य, जमदग्नि, अत्रि, मैं पाणिनि ऋषि सुज्ञानी हूँ।
चाणक्य महानीतिज्ञ चतुर, अत्यन्त आत्म-अभिमानी हूँ।।
मैं इस प्रकार का हिन्दू हूँ ।
मैं हरिश्चन्द्र हूँ दृढप्रतिज्ञ, मैं नृप शिवि प्राणी रक्षक हूँ।
मैं राघवेन्द्र रघुकुल भूषण, मर्यादा का संरक्षक हूँ।।
मैं दुष्ट दैत्य दानव दल के, दमनार्थ बन गया तक्षक हूँ।
मैं प्रणपालक राणा प्रताप, फल पत्र कन्द तृण भक्षक हूँ।।
मैं इस प्रकार का हिन्दू हूँ।
मैं चन्द्र्रगुप्त बनकर प्रकटा, विक्रमादित्य बनकर आया।
शक हूण यवन गिन-गिन मारे, सम्पूर्ण विश्व तब थर्राया।।
शिवराज छत्रपति बन मैंने, हिन्दू ध्वज नभ में फहराया।
बन्दा वैरागी बन मैंने, हिन्दुत्व सूर्य को चमकाया।।
मैं इस प्रकार का हिन्दू हूँ।
मैं बाजीराव पेशवा हूँ, मैं रिपु विजयी रणजीतसिंह हूँ।
अफगान सैन्य संहारक हूँ, बलशाली नलवा हरिसिंह हूँ।।
अंग्रेज शत्रुओं का नाशक, मैं ही बन गया कुंवरसिंह हूँ।
सावरकर और भगतसिंह हूँ, लन्दन विजयी ऊधमसिंह हूँ।।
मैं इस प्रकार का हिन्दू हूँ
- महात्मा रामचन्द्र वीर महाराज
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Ved Katha Pravachan - 25 (Explanation of Vedas) वेद कथा - प्रवचन एवं व्याख्यान Ved Gyan Katha Divya Pravachan & Vedas explained (Introduction to the Vedas, Explanation of Vedas & Vaidik Mantras in Hindi) by Acharya Dr. Sanjay Dev