मनुष्य अपने एक छोटे से अंश के प्रति ही सचेतन रहता है। मन जिसके द्वारा वह संकल्प-विकल्प करता है, बुद्धि-जिसके द्वारा वह सोचता और काम करता है, प्राणशक्ति-जो उसे चलाती है और जीवित रखती है और शरीर-जिसमें मन और प्राण दोनों अवस्थित हैं; यही वे सब कुछ हैं, जिन्हें मनुष्य जानता है। ये तो केवल उसकी बाह्य सत्ता हैं, उसका एक छोटा-सा अंश हैं। इसके इतर भी मनुष्य की एक विशालतम, महानतम आंतरिक सत्ता है, जिसकी बाह्य सत्ता तो वास्तव में एक प्रक्षेपण मात्र हैं। इसकी शक्तियाँ मन, बुद्धि व शरीर से भी अधिक महान हैं।
Man is conscious of only a small part of himself. The mind by which it makes will-choices, the intellect-by which it thinks and acts, the vital force-which moves and keeps it alive and the body-in which both the mind and the vital are situated; These are all that man knows. These are only his external being, a small part of him. Beyond this there is a greatest, greatest inner being of man, whose outer being is really just a projection. Its powers are greater than the mind, intellect and body.
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बदलने की मनोवृत्ति आदमी में बदलने की मनोवृत्ति होती है। कोई भी एक रूप रहना नहीं चाहता है। युवक भी सदा युवक नहीं रहता, बूढा होता है। जैसे यौवन का अपना स्वाद है, वैसे ही बुढापे का अपना मजा है, स्वाद है। जिस व्यक्ति ने बुढापे का अनुभव नहीं किया, बुढापे के सुख का अनुभव नहीं किया, वह नहीं जान सकता कि...