ज्योति एक शाश्वत सत्य है। तम एक अस्थायी अवरोध है। ज्योति एक तत्त्व है, जबकि तम कोई तत्त्व नहीं है। ज्योति का अभाव ही तम है। यही कारण है कि तम की कोई खोज नहीं करता है, जबकि अनन्त काल से मानव ज्योति की खोज करता रहा है। लोग कहते हैं, अन्धेरे का लाभ उठाकर चोर भाग गया। इसमें भी ज्योति का ही महत्व दर्शाया गया है। सत्य यह है कि चोर अन्धेरे के कारण नहीं, थोड़ी सी ज्योति का लाभ उठाकर भागा है। वह थोड़ी सी ज्योति से ही अपना काम चला सकता है। जब थोड़ी सी ज्योति से चोर जैसे कुकर्मी को भी सफलता मिलती है, तो सत्कर्मियों को अनन्त ज्योति का सहयोग और उससे उत्पन्न आनन्द कितना होगा।
जब हम ज्योति को देखते हैं, तब ज्योति भी हमें देखती है। इतना ही नहीं, जब हम ज्योति को नहीं देखते हैं, उसकी उपेक्षा करते हैं या देखकर आँखें मूंद लेते हैं, तब भी ज्योति हमें देखकर हॅंसती है कि अरे मैंने तुझे आँख के साथ पैदा किया है और तू उन्हें बन्द कर रहा है। क्या तुझे इन नैन ज्योतियों की
आवश्यकता नहीं है ? और क्या तू ज्योतिहीन जन्म पसन्द करता है। ज्योति देखती है कि हम लोगों को दिखाने के लिए सेवा-कार्य करने का उत्तरदायित्व लेते हैं, परन्तु सौंपे हुए कार्य को पूरा करने में बंगले झॉंकते हैं। ज्योति तब भी हमें देखती है, जब हम काम करने में दूसरों को दुःख देने जैसा विलम्ब करते हैं। ज्योति यह देखकर मुस्कराती है कि कोई-कोई हाड़मांस का थोथा पुतला उसे दिए गए किरदार को निभाने के स्थान पर उच्चता के अभिमान में निमग्न है और दूसरों के सत्कर्मों का पक्षपातपूर्ण मूल्यांकन कर रहा है।
ज्योति समदर्शी है। इसमें तो जो जैसा है, वैसा ही दिखता है। यही कारण है कि कई लोग ज्योति को पसन्द ही नहीं करते हैं। क्योंकि वे जानते हैं कि इससे लोग हमारे नंगेपन को देख लेंगे। क्योेंकि अन्धकार के बिना नंगापन छिप नहीं सकता। कई लोग ज्योतियों में स्नेह या तेल के स्थान पर दारू डालने के लिये कह रहे हैं ताकि ज्योतियों का जीवन ही मन्द पड़ जाए और वे कुकर्मों के नंगेपन को समझ ही न सकें और समझ भी जाएं तो जर्जरता के कारण कुछ कर सकने का उनमें सामर्थ्य ही न रहे।
ज्योति के शत्रुओं ! क्या तुमने कभी सोचा है कि लोगों की बुद्धि और चेतना नाम की ज्योति पर हमला करने का तुम्हें क्या फल मिलेगा? यमराज कहेगा कि तेरे लिए दुःख, दण्डों और नर्कों की वर्तमान पद्धति पर्याप्त नहीं है। तू उल्टा इस नर्क को भी बिगाड़ देगा। तू तो उल्लू और चमगीदड़ों के चोलों को भी बदनाम करेगा। देखता हूँ कि कोई इससे भी बुरा चोला उपलब्ध है या नहीं। जिसे ज्योति से ईष्या होती है, उसे ज्योति असह्य हो जाती है। आँखें फट जाती हैं और किंकर्तव्यविमूढता आ जाती है। ज्योति तब भी मुस्कराती है। जब दुनिया आगे बढ़ती है और तुम बहादुरीपूर्वक (?) एक कदम बढ़ाकर दो कदम पीछे हटते हो तो जगमग ज्योति में तुम्हारी जीवटता की जग हॅंसाई होती है। ज्योति कहती है, तुझे जन्म देकर जननी का नूर व्यर्थ गया।
लुटेरा बाबर ज्योति से जगमगाती दिल्ली में अपना भाग्य जगमगाने के लिए घुसा। ज्योति को जड़ीभूत करने पर तुले एक ज्योतिषी ने ललचाकर उसे देखा। बाबर बोला- तुम्हारी उम्र क्या है और कितने साल बाकी है? उत्तर मिला- वह साठवें साल में है और 34 साल और जियेगा। बाबर ने तत्काल चमचमाती तलवार निकाली और एक ही वार में उसकी जीवन ज्योति छीन ली, क्योंकि ज्योतिषी ने ज्योति का दुर्विनियोग किया था। ज्ञान और निर्भयता के स्थान पर मुहुर्त और शकुन नामक भय-भूतों को जनता जनार्दन की जीवन ज्योति छीनने के लिए छुट्टा छोड़ दिया था। गणेश बनाने बैठा था, बन्दर बना लिया और रहा-सहा, उसके हाथ में उस्तरा भी दे दिया है। उस कीड़े ने ज्योतिष रूपी गाय के थनों का दूध नहीं, खून पिया है और कौम को क्षण-क्षण कदम-कदम पर कण-कण से डरने वाले भाग्यवादी कायरों की जमात बना दिया है। ग्रह नक्षत्रों का हौआ खड़ा कर दिया है। आखिर जीवन में जगमगाते कर्मों की ज्योति और बाद में चिरज्योति किसलिए है? उस पर भी तुर्रा यह कि उस ज्योतिषी के पूजा-पाठ से ईश्वर के अधिकार क्षेत्र के ग्रह नक्षत्र तारे मान जाएंगे, अनिष्ट नहीं करेंगे। सुनो-
तेरे फिर से ज्योतिषी तारे बदल जाते अगर,
न मरता ज्योति का प्यासा न तेरी चिता पाते हम।
सितारों की सिफारिश की तमन्ना करें क्योंकर,
हमारे कर्म का तारा ये सूरज जगमगाते हम।।
रमेशचन्द्र चौहान, दिव्ययुग अक्टूबर 2008 (Divya Yug 2008)
जीवन जीने की सही कला जानने एवं वैचारिक क्रान्ति और आध्यात्मिक उत्थान के लिए
वेद मर्मज्ञ आचार्य डॉ. संजय देव के ओजस्वी प्रवचन सुनकर लाभान्वित हों।
धर्म की अनिवार्यता एवं सुख
Ved Katha Pravachan - 18 (Explanation of Vedas) वेद कथा - प्रवचन एवं व्याख्यान Ved Gyan Katha Divya Pravachan & Vedas explained (Introduction to the Vedas, Explanation of Vedas & Vaidik Mantras in Hindi) by Acharya Dr. Sanjay Dev
Hindu Vishwa | Divya Manav Mission | Vedas | Hinduism | Hindutva | Ved | Vedas in Hindi | Vaidik Hindu Dharma | Ved Puran | Veda Upanishads | Acharya Dr Sanjay Dev | Divya Yug | Divyayug | Rigveda | Yajurveda | Samveda | Atharvaveda | Vedic Culture | Sanatan Dharma | Indore MP India | Indore Madhya Pradesh | Explanation of Vedas | Vedas explain in Hindi | Ved Mandir | Gayatri Mantra | Mantras | Pravachan | Satsang | Arya Rishi Maharshi | Gurukul | Vedic Management System | Hindu Matrimony | Ved Gyan DVD | Hindu Religious Books | Hindi Magazine | Vishwa Hindu | Hindi vishwa | वेद | दिव्य मानव मिशन | दिव्ययुग | दिव्य युग | वैदिक धर्म | दर्शन | संस्कृति | मंदिर इंदौर मध्य प्रदेश | आचार्य डॉ. संजय देव